रविवार, 11 अगस्त 2024

कर्मा धर्मा पूजा कब है | कर्मा धर्मा पूजा किस लिए मनाया जाता है

हेलो दोस्तो आज की इस आर्टिकल मैं हमने बात करने वाले है की हमारे हिन्दू धर्म और सनातन धर्म मैं कर्मा पूजा कब मनाया जाता है और किसके लिए मनाया जाता है,अगर आप इस पोस्ट का तलाश मैं है ,तो आप आज बिल्कुल सही वेबसाइट पर है। आप इस पोस्ट के अंत तक बने रहे हम आपको पूरी जानकारी विस्तार से देने वाले है।


कर्मा धर्मा पूजा कब है | कर्मा पूजा किस लिए मनाया जाता है 



करम झारखण्ड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छतीसगढ का एक प्रमुख त्यौहार है। मुख्य रूप से यह त्यौहार भादो (लगभग सितम्बर) मास की एकादशी के दिन और कछेक स्थानों पर उसी के आसपास मनाया जाता है। इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना करते हैं, साथ ही बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रारथना करती हैं। करम पर झारखंड के लोग ढ़ोल और मंदर के थाप पर गाते झूमते है।




करम त्यवहार में एक विशेष जनृत्य किया जाता है जिसे करम नाच कहते हैं। यह पर्व हिज्दू पंचांग के भादों मास की एकादशी को झारखण्ड, छत्तीसगढ़., सहित देश विदेश में पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास के पश्चात करमवृक्ष का या उसके शाखा को घर के आंगन में रोपित करते हैं और दूसरे दिन कुल देवी-देवता को नवान्न (नया अन्न) देकर ही उसका उपभोग शुरू होता है। करम नृत्य को नई फसल आने की खुशी में लोग नाच-गाकर मनाया जाता है। 


करम नृत्य छत्तीसगढ और झारखण्ड की लोक संस्कृति का पर्याय भी है। छत्तीसगढ और झारखण्ड के आदिवासी और गैर-आदिवासी सभी इसे लोक मांगलिक नृत्य मानते हैं। 



करम पूजा नृत्य, सातपुडा और विंध्य की पर्वत श्रेणियों के बीच सुदूर गांवों में विशेष प्रचलित है। शहडोल. मंडला के गोंड और बैगा एवं बालाघाट और सिवनी के कारकून तथा प्रधान जातियाँ करम के ही कई रूपों को आधार बना कर नाचती हैं। बैगा कर्मा, गांड करम और भुइयां कर्मा आदि वासीया नृत्य माना जाता है। छत्तीसगढ के लोक नृत्य में करमांगी व्ही करअवतार गोड के घर मैं हूव ऐसा माना गया है, एक अन्य गीत मैं घासिये के घर मैं मना जाता हैं।



यह दिन इनके लिए प्रकृति की पंजा का हैं। ऐसे में ये सभी उल्लास से भरे होते हैं। परम्परा के मुताबिक, खेतों में बोई गई फसलें बरबाद न हों, इसलिए प्रकृति की पंजा की जाती है। इस मौके पर एक बर्तन में बालू भरकर उसे बहूत ही कलात्मक तरीके से सजाया जाता है। 


पर्व शरू होने के कुछ दिनों पहले उसमें जौ डाल दिए जाते हैं, इसे जावा कहा जात्रा है। बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इनके भाई कर्म वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन या खेतों में गाइने हैं। इसे वे प्रकृति के आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद वे इस डाल को पूरे धार्मिक रीति से तालाब, पोखर, नदी आदि में विसर्जित कर देते हैं।



दोस्तो आज की इस आर्टिकल मैं हमने जाना की हिंदू धर्म मैं कर्मा पूजा कब मनाया जाता है और किस लिए मनाया जाता है।आज हमने इस आर्टिकल मैं पूरी जानकारी दे दिए है ।अगर आपको कर्म पूजा के बारे मैं और कुछ जानकारी चाहिए तो आप मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।





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